Titliyaan - 1 in Hindi Love Stories by Lakhan Nagar books and stories PDF | तितलियाँ - 1

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तितलियाँ - 1

हर काली रात  सूरज की एक किरण के साथ खत्म होती हैं । पर कुछ राते ऐसे होती हैं जिनकी सुबह तो हो जाती हैं लेकिन वो हमारे जीवन में इतना  घोर अन्धकार भर देती हैं जिसे दुनिया का कोई सूरज दूर नही कर सकता । 

 

 

03 मई 2004

 


क्या लेंगी मैडम आप ? पिछले आधे घंटे में रजत  यह बात तीन बार पूछ  चुका था । टेबल नं. 3 पर बैठी एक नवयुवती लगातार अपनी घड़ी की सुई को आगे-पीछे कर रही थी  , देखने पर उम्र में  कुछ 25-30 साल लग रही थी । मैडम अगर आप कुछ नहीं ले रही हो तो कही और जाकर बैठे, कैफ़े बंद करने का समय हो गया हैं  ; ठीक हैं 2 कप चाय ले आओ - ममता ने कहा। लीजिये मैडम ; क्या आप मेरे साथ बैठ कर चाय पी सकते हैं ,अगर आपको कोई दिक्कत नहीं हो तो । जी मैडम ,रजत बोला । ये मैडम छोड़ो ,ममता नाम हैं मेरा यू कैन कॉल मी ममता , जी ; और हाँ , ये जी जी करना बंद करो । वैसे ये कैफ़े तुम्हारा हैं ? ममता ने पूछा , हाँ मेरा ही हैं पर बस कुछ दिन के लिए ।  क्यूं कुछ दिन बाद क्या होगा ? कुछ दिन बाद इसकी नीलामी होगी । क्यों ? मैं अभी तक इस कैफ़े पर लिए लोन को चुका नही पाया हूँ  । कितना लोन होगा वैसे ? ब्याज समेत कुछ 20 लाख । वैसे आप इतने देर से बैठी-बैठी घड़ी की सुई को आगे-पीछे क्यों कर रही थी ? रजत ने पूछा । क्यूंकि हम असल जिन्दगी में ऐसा नही कर सकते।  क्या मतलब आपका, रजत बोला । पता हैं अगर हम जिन्दगी को पीछे जाकर बदल सकते तो हमारी जिन्दगी कितनी अच्छी होती ना । हां पर अगर  ऐसे होता  तो हम जिन्दगी में कभी आगे ही नही बढ़ पाते , जब-जब थोड़ा आगे बढ़ते हमें पिछले फैसले गलत लगने लगते और हम वापस उन्हें सुधारने के लिए पीछे चले जाते ; " The world is all about continuum " मतलब दुनिया का कोई भी फैसला पूरी तरह से सही या पूरी तरह गलत नहीं होता , और इन दोनों के बीच ही जिन्दगी जी जाती हैं , रजत ने कहा।   बाते बहुत अच्छी बना लेते हो तुम, ममता बोली । चाय खत्म हो गई हैं, कहकर ममता चली जाती हैं।

 

04 मई 2004 ,

 

रजत कैफे बंद करने वाला था , 2 कप चाय मिल सकती हैं क्या ? रजत ने पलटकर देखा ममता खड़ी थी। हाँ  ज़रूर , आइए, मैं कैफे बंद ही करने वाला था। अच्छा जब तक कैफे आपका हैं तब तक तो पिला दीजिए चाय , ममता ने फ्रेंकली होते हुए कहा । जी जरुर ,वैसे करती क्या हैं आप, ? सौरभ गोयनका का नाम सुना हैं आपने ? , केरल  के यंग गोल्ड मर्चेंट ,मैं उनकी पत्नी हूँ । वैसे मिसेज गोयनका केरल से इतनी दूर यहाँ उतराखंड में एक छोटे से कैफ़े में कैसे ? हाँ शायद गलती कर दी उतराखंड आकर ,सुना था पहाड़ो पर शान्ति मिलती हैं ,पर मुझे तो यहाँ ऐसा कुछ नही लगा  । अच्छा , शान्ति ढूंढने से नहीं रूककर बैठने से मिलती हैं ममता जी ; ढूंढने में निहित हैं कि वो चीज़ पहले हमारे पास थी ,वैसे सही हैं न " हम अक्सर उन्ही रातों में चाँद को ढूंढने का प्रयास करते हैं जो अपेक्षाकृत काली होती हैं। "  तुम्हारे पास इन बोरिंग फिलोसोफिकल बातों के अलावा भी कुछ हैं ,ममता बोली । अच्छा पास में ही एक मेला लगा हैं अगर आप फ्री हो तो वहां घूमने चले ? , रजत ने पूछा । हाँ , तुम्हारी बोरिंग बातो से तो अच्छा हैं थोडा घूम ही लिया जाये , वैसे भी मैं कल वापस केरल जा रही हूँ । 


दोनों मेले की तरफ चल पड़ते हैं ..

वैसे तुम्हे क्या लगता हैं मेले क्यों लगते हैं ? रजत ने पूछा ।ताकि लोग घूम सके , मनोरंजन कर सके, अपना स्ट्रेस दूर कर सके ,ममता ने जवाब दिया । नहीं , रजत बोला | तो फिर तुम ही बता दो ये भी।   तुम्हे पता हैं अक्सर लोग जब अपने अन्दर के खालीपन से ऊब जाते हैं तो वो उस खालीपन को दूर करने के लिए अक्सर भीड़ का सहारा लेते हैं , पर शायद दुनिया की कोई भीड़ हमारे अन्दर के खालीपन को दूर नही कर सकती , भीड़ के शौर में अन्दर का खालीपन कुछ समय के लिए दब जरुर जाता हैं परन्तु जैसे ही हम भीड़ से दूर होते हैं हमारे अन्दर का खालीपन सूनेपन के साथ जुड़ जाता हैं। हमें केवल एक इंसान की जरुरत होती हैं जो हमारे खालीपन को अपने खालीपन से भर सके । दो लोग मिलकर इस दुनिया का बड़े से  बड़ा काम कर सकते हैं बशर्ते दोनों खुद को दुसरे का ' स्कीमा ' मान ले  । अक्सर लोग ऐसे ही किसी इंसान की खोज में भटकते रहते  हैं-रजत बोला  । अच्छा और ये स्कीमा क्या होता हैं , ममता ने पूछा ? आजकल की  भाषा में कहे तो जीवनसाथी या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड समझ लो | अच्छा तुम्हे मिली अभी तक कोई स्कीमा ,मेरा मतलब गर्लफ्रेंड | नहीं उसे ढूंढने ही तो मैं मेले में आता हूँ ,रजत मजाक में बोला । हाँ सही हैं तुम्हे यहाँ कोई न कोई मिल जाएगी । वैसे आपके जीवन में तो हैं न आपका स्कीमा मेरा मतलब आपके पति | हर पति अच्छा जीवनसाथी हो ये बहुत कम होता हैं वैसे | क्यों मिस्टर गोयनका में कोई दिक्कत हैं , रजत ने पूछा।   अरे कहाँ तुम भी  इतनी अच्छी जगह में ऐसी फालतू बाते कर रहे हो । सामने गोलगप्पे का ठेला देखकर ,ममता बोली

अच्छा गोलगप्पे खाने चले । नहीं तुम चली जाओ। कोई प्रॉब्लम हैं गोलगप्पे खाने में ?

“नहीं प्रोबलम कुछ नही  है। मुझे गोलगप्पे उतने पसंद नही  है। हमेशा गले में  सरक जाता
है।”
“सही से खाना नही आता होगा तुम्हे ।”
“अब गोलगप्पे भी कोई गलत तरीके से खा सकता है?”
 खैर छोड़ो। पता ही चल रहा है कभी कोई गलफ्रेंड क्यों  नही  रही तुम्हारी ।”
“अब गोलगप्पे खाने से गलफ्रेंड  का क्या कनेक्शन है?”
“है। तुम नही  समझोगे, गलफ्रेंड को खिलाए होते तो खाने की तमीज आ गई होती।

नहीं ऐसी बात हैं नही हैं, मेरे गलफ्रेंड थी बस अभी नहीं हैं रजत बोला |

क्यूँ अभी कहाँ चली गयी फिर ? ब्रेकअप हो गया हमारा 2 साल पहले । तो 2 साल में अभी तक नयी नहीं बनाई क्या ? , ममता ने पूछा ? नहीं मैं  उसे नही भूल पाया हूँ अभी तक तो कैसे कोई नयी बना लूं ।

अच्छा बहुत रात हो गयी हैं अब हमे निकलना चाइये , तुम्हे कोई प्रॉब्लम नहीं हो तो होटल तक तुम मेरे साथ चल सकते हो , ममता ने पूछा । नहीं अभी कैफ़े का थोड़ा  काम करना हैं मुझे । अच्छा तो दोनों कैफ़े ही चलते हैं फिर , चलो । 

दोनों कैफ़े पहुँचते हैं रजत बैठा-बैठा कैफ़े के एकाउंट्स चेक कर रहा था , और ममता उसकी तरफ गीली मोटी आँखों से देख रही थी । 

"वैसे तुम्हारा ब्रेकअप कैसे हुआ ?"नाम क्या था उसका ?

"छोड़ो न सुनोगी तो तुम मेरा मजाक उड़ाओगी। "अरे मजाक तो बंदा प्यार में पड़ते ही बन जाता हैं  । जाओ 2 पेग बनाओ अपने लिए और अपनी लव स्टोरी सुनाओ , i love 'love stories'.ममता बोली । अच्छा सुनो ,कीर्ति नाम था उसका , MBA कॉलेज में हम दोनों साथ थे , अब तुम्हे तो पता हीं हैं कॉलेज में ज्यादा काम तो होता नही हैं तो बस हम मिलते रहते थे कॉलेज के बाहर , 1-2 बार कॉलेज के काम को लेके मिले ,धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी , सब किसी न किसी के साथ सम्बन्ध में थे तो हम दोनों ने भी एक-दुसरे को डेट करना शुरू कर दिया ; रोज बात करने लगे तो एक-दूसरे की आदत हो गयी| उसके बाद उसकी और मेरी लखनऊ  में जॉब लग गयी, पर मैंने जॉब करने से मना कर दिया  और उतराखंड में अपना ड्रीम कैफ़े शुरू कर दिया, इस पर हमारी थोड़ी बहस हुई और  धीरे-धीरे हमने  बात करना कम कर दिया  , एक दिन उसका कॉल आया तो बोली कि वो शादी कर रही हैं और मुझे उससे दूर रहना चाइये , वो अपना पास्ट भूल चुकी हैं और उसे दोबारा याद नही करना चाहती,, कहते-कहते रजत ने बोतल उठाई और पी गया । अच्छा  तो तुम भी उसे भूल जाओ जब वो तुम्हे भूल गयी  और आगे बढ़ो अपने जीवन में , ममता बोली। 

 


अक्सर हम उसी को अपने पहले प्यार की कहानी सुना रहे होते हैं जिनमें हम अपना नया प्यार ढूँढ रहे होते हैं । अपना पहला प्यार खो देने के बाद हम अक्सर प्यार से भागने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन हम भूल जाते हैं कि " पानी में पड़े बड़े-बड़े जहाजो को लौटकर आना पड़ता हैं वापस किनारे की ओर , आकाश नापने के बाद पक्षियों को घोसलों में लौटना पड़ता हैं , सागर से मिलने के बाद नदियों को फिर से बरसना पड़ता हैं पहाड़ो पर , और इसी तरह हमें में अंत में लौटना पड़ेगा प्रेम की तरफ़ । " प्रेम किसी व्यक्ति विशेष को पाना नहीं हैं बल्कि प्रेम तो एक अनुभूति हैं जो हमे शक्ति देती हैं कि हम सबसे प्रेम कर सके ।  किसी अज्ञात कवि ने सच ही कहा हैं- "मुझे जगत जीवन का प्रेमी , बना रहा हैं प्यार तुम्हारा। 

 


ममता ने रजत से बोतल छिनी और रजत को अपने गले से लगा लिया , रजत के आँसुओ का गीलापन वो महसूस कर सकती थी। रजत ने भी ममता को  जोर से गले लगा लिया और आधे घंटे तक ममता से लिपटकर रोता रहा , ममता भूल चुकी थी कि वो मिसेज गोयनका हैं। शायद दोनों जान चुके थे कि वे एक-दुसरे के लिए ही बने हैं | दोनों को मानो अपना-अपना स्कीमा मिल चुका था | रजत के आँसू ममता नहीं बल्कि उस मिट्टी को गिला कर रहे थे जिस पर प्रेम के एक सुन्दर वृक्ष का आरोपण होना था । हम कितने भी मजबूत क्यों न हो एक भारी दिन के अंत में हमें प्रेम का स्पर्श चाइये होता हैं और ममता ने ये स्पर्श रजत में पाया था । दोनों रात भर एक-दूसरे में लिपटे रहे दोनों केवल अपने शरीर और मन से बाते कर रहे थे ; वे बातो के लिए मुंह का प्रयोग करके अपने दिलों की तोहीन नहीं कर सकते थे । एक-दुसरे में लिपटे कब दोनों की आँख लग गयी पता ही नही चला। 

 


अगली सुबह जब रजत उठा , सिर थोडा  भारी-भारी लग रहा था  । उठा तो सामने टेबल नं. 3 पर ममता की चिट्टी रखी हुई लिखा थी  - तुम्हारे साथ गुजारे पल हमेशा याद रहेंगे , मैं आज केरल जा रही हूँ। रजत एक पल के लिए मौन था। हर मुलाकात अपने आप में अधूरी होती हैं शायद इसलिए क्यूंकि अगर मुलकात पूरी हो जाये तो अगली मुलाक़ात की जरुरत ही न बचे , और हर रिश्ता केवल एक मुलाकात पर ही  खत्म हो जाये । 

 


08 जून 2004

आज रजत के कैफ़े की नीलामी थी तो कैफ़े के आस-पास बोली लगाने वालो की भीड़ थी । रजत दुखी मन से कैफ़े में से अपना सामान चुन-चुन कर बेग में रख रहा था । MBA खत्म होने के बाद रजत ने घर वालों से लड़-झगड़कर ये कैफ़े शुरू किया था जबकि उसे लखनऊ में एक अच्छी नौकरी मिल चुकी थी। हालांकि उसके मन में नौकरी छोड़ने का मलाल नहीं था , मलाल था तो बस इस बात का कि जिस कैफ़े की वजह से कीर्ति उससे दूर हो गयी आज वो कैफ़े भी उससे छीन रहा हैं।   नीलामी का अनाउंसमेंट हो गया था और बोली लगनी शुरू हो चुकी थी । रजत अकेला कैफ़े में बैठा बस उसे ताक़ रहा था।   अंतिम बोली  ....1...2....3...कैफ़े नीलाम हो गया था केरल के किसी व्यापारी ने इसे ख़रीदा था ।  रजत को कैफ़े के दस्तावेज सुपुर्द करने का कहा गया , जैसे ही वो कागज़ सुपुर्द करने  लगा सामने ममता खड़ी थी । तुम ! हाँ मैं , कहकर ममता ने कागज ले लिए  । रजत विस्मय और मुस्कान के मिश्रित भाव से ममता की तरफ देखता रहा।   थोड़ी देर में इक्के-दुक्के लोगो के अलावा सब जा चुके थे । रजत और ममता दोनों वोही थे पर अभी तक दोनों ठीक से बात नही कर पाए थे  । ममता रजत के पास आई - आज शाम को हमने इस कैफ़े में पार्टी रखी हैं ,तुम्हे आना हैं , ओके , शाम को मिलते हैं ,कहकर ममता चली जाती हैं। 

रजत शाम को हाथ में छोटा-सा  गिफ्ट लेके कैफ़े पहुँचता हैं , कैफ़े में काफी लोग आये हुए थे ,ममता गेट पर ही काली  साड़ी पहने  रजत का इंतज़ार कर रही थी । रजत आते ही , बहुत सुन्दर लग रही हो तुम आज , थैंक यू  , बड़ी देर लगा दी आने में , आओ अब चलो में तुम्हे अपने पति से मिलवाती हूँ । सौरभ  ये रजत , ये कैफ़े इन्ही का हैं , अच्छा आपसे मिलकर ख़ुशी हुई , सौरभ बोला । दोनों आपस में बाते करने लगते हैं थोड़ी देर में आवाज़ आती हैं , " सर मिस्टर लालवानी आपसे मिलना चाहते हैं । " रजत को ये आवाज़ जानी-पहचानी लगती हैं वो मुड़कर देखता हैं , सामने कीर्ति खड़ी होती हैं। ओके मिस्टर रजत हम बाद में मिलते हैं कहकर सौरभ चला जाता हैं  । तुम यहाँ कैसे ? रजत ने पूछा  । मैं मिस्टर गोयनका की सेक्रेट्री हूँ।   तुम्हारी शादी ? अभी नही की मैंने, रजत ने कहा । और तुम्हारी शादी कैसी चल रही हैं ? रजत ने पूछा।   मैंने शादी नही की , क्यों ? कभी मन नही हुआ । तो फिर मुझसे झूठ क्यों बोला तुमने कि तुम शादी कर रही हो ? क्यूंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम जीवन में मेरे लिए रुके रहो या मेरे लिए अपना समय बर्बाद करो। पता हैं लड़कियाँ अक्सर उन लड़को को हमेशा छोड़ देती हैं जो उनसे सच में प्यार करते हैं , वो चाहे तो उन्हें अपने साथ रखकर कोई भी सही गलत काम करवा सकती हैं क्यूंकि वो जानती हैं कि वो लड़का कभी उन्हें मना नही करेगा ; परन्तु इनसे अलग कुछ लड़कियाँ तितलियों  की तरह होती हैं वो फूल को तब तक नही छोड़ती जब तक की उनका सारा रस अपने अन्दर न ले लें । अच्छा ये सब छोड़ो, ये बताओ अब क्या प्लान हैं तुम्हारा कैफ़े के अलावा ? , कीर्ति ने पूछा।   कुछ नहीं जॉब के लिए अप्लाई कर दिया था जल्दी ही मिल जाएगी।   अच्छा कोई  जरुरत हो तो बताना ,मैं अभी भी वही कीर्ति हूँ ,कहकर कीर्ति चली जाती हैं । 

ममता इतनी देर से कीर्ति और रजत को चुपचाप देख रही थी , ममता रजत के पास आकर पूछती हैं 'तुम दोनों जानते हो एक-दुसरे को ?' हाँ ये वही कीर्ति हैं जिसके बारे में मैंने तुम्हे बताया था,रजत कहता हैं। ममता रजत को कैफ़े में अन्दर चलने का इशारा करती हैं तब तक सब जा चुके थे । दोनों टेबल नं. 3 पर बैठे थे और एक-दुसरे को देख रहे थे । आप मिस्टर गोयनका के साथ खुश नही हैं क्या , रजत ने पूछा । नहीं , ममता ने जवाब दिया। फिर तुमने उससे शादी क्यों की ? अब तुम ही बताओ एक लड़की जीवन में क्या चाहती हैं कि उसका पति उसे प्यार करे उसके पति के पास पैसा हो शोहरत हो ,लोग उसकी इज्जत करें ; यही सब देखकर मैंने सौरभ से शादी की थी,  पर जब से हमारी शादी हुई हैं 5 राते तक हमने साथ नही गुजारी हैं । उसके पास मेरे लिए टाइम नहीं हैं।  तो तलाक दे दो उसे ,रजत ने कहा। फिर तुम करोगे मुझसे शादी ? , क्यों रजत बोलो तुम करोगे मुझसे शादी ? ; मैं तुम्हारे साथ गुजारी वो एक रात अभी तक नही भूल पायी हूँ; मैं यहाँ वापस तुम्हारे लिए आई हूँ , बोलो करते हो तुम मुझसे प्यार ? रजत दूसरी बार किसी के मुंह से ये बाते सुन रहा था , वो खुद ममता के साथ गुजारी उस रात को भूल नही पाया था , उसे जीवन में जिस सहारे की जरुरत थी वो सहारा उसे ममता ने दिया था।   हाँ ममता , मैं  करूंगा तुमसे शादी , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ । ममता रजत के पास आकर बैठती हैं दोनों एक-दूसरे में खो जाते हैं वो जमीं  जिसे  रजत ने अपने आँसुओं  से सींचा था वहाँ अब एक पौधा पनप चुका था , दोनों एक-दूसरे से वापस मौन वार्तालाप में मग्न हो गए । 

 


 09 जून 2004 ,

 


अलार्म बजा , सुबह के 4 बजे थे , रजत ने उठकर कैफ़े में इधर-उधर देखा उसे ममता कहीं नही दिखी । सामने टेबल नं. 3 पर एक कागज़ पड़ा था लिखा था - रजत मैं सौरभ के पास होटल अमीरात जा रही हूँ , मुझे आज ही उसे हमारे बारे में बताना होगा ,सौरभ बहुत अभिमानी व्यक्ति हैं वो कभी भी सीधे-सीधे हमारे रिश्ते को स्वीकार नही करेगा । मैं तुम्हे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती , मैंने 2 सालो में बहुत कुछ सहा हैं और आज मैं अंतिम फैसला करना चाहती हूँ । उसे हमारे रिश्ते को किसी भी कीमत पर स्वीकार करना ही पड़ेगा।   5 बजे मुझे होटल अमीरात के रूम नं. 9 में मिलना में वहां तुम्हारा इंतज़ार करूंगी । रजत को ज्यादा कुछ समझ नही आया पर वो समझ चुका था कि ममता इस वक़्त कुछ भी गलत-सही नही समझ रही वो कुछ भी कर सकती हैं। 

जल्दी से रजत होटल अमीरात के रूम नं. 9 में पहुँचा जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला सौरभ जमीन पर पड़ा हुआ था उसके शरीर से खून निकल रहा था ,जैसे ही रजत ने सौरभ को पलटने की कोशिश की उसका हाथ उसके पेट में लगे चाक़ू पर गया , सौरभ मर चुका था ।  रजत स्तब्ध था उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें , इतने में ममता कीर्ति के साथ रूम नं. 9 में आती हैं , ये क्या कर दिया तुमने रजत , ममता ने रोती हुई आवाज़ में कहा।   मैंने कुछ नही किया ममता तुम मुझे गलत समझ रही हो । तुमने मेरे पति को मार दिया , हत्यारे हो तुम , वरना तुम इस समय यहाँ क्या कर रहे हो ? मैं वो तुम्हारा , क्या मेरा , तुमने ही  मेरे पति को  मारा हैं । इतने में कीर्ति पुलिस को फ़ोन कर चुकी  थी | रजत कुछ समझ नही पा रहा था या शायद मान नही पा रहा था कि ममता ने उसके साथ ऐसा किया , वो चाहकर भी ममता के खिलाफ कुछ बोल नही पा रहा था , शायद उसने ममता को समझने में भूल कर दी थी शायद ममता उन्ही तितलियों में से एक थी जिनका जिक्र कीर्ति ने किया था ; रजत अन्दर से वैसा ही खालीपन महसूस कर रहा था जैसा कोई तब करता हैं, जब उसका कोई करीबी इस दुनिया से चला जाता हैं | परन्तु अब रजत सब समझ चुका था परन्तु  सब कुछ जानते हुए भी ममता के प्यार ने रजत को ऐसे मोड़  की तरफ धकेल दिया था जहाँ वह बिना किसबसे  सी दबाव के ये स्वीकार कर सकता था कि उसी ने सौरभ का खून किया हैं ; आदमी जिससे प्यार करता हैं उसके लिए वो कुछ भी कर देता हैं वैसे यही प्रेम की सार्थक अभिव्यक्ति भी हैं , लोगो द्वारा अपने प्यार को जान-बुझकर दुखी करना कहाँ  संभव हो पाता हैं ; हर व्यक्ति जो प्यार करता हैं वो हमेशा उस पल  का इंतज़ार करता हैं जब वो अपने प्यार के लिए कुछ कर सके , रजत भी उन्ही लोगो में से एक था | ममता की सच्चाई बताकर वो खुद तो बच सकता था लेकिन इससे उसके दिल में ममता के लिए जो प्यार था वो हमेशा के लिए खत्म हो जाता , प्यार का मरना , व्यक्ति के खुद के मरने से भी दुखद अनुभूति हैं क्यूंकि इसे जीते जी झेलना पड़ता हैं।

( इतने में पुलिस आ जाती हैं ; रजत अपना जुर्म कबूल कर लेता हैं ; उसे 20 साल के कारावास की सज़ा होती हैं ; सौरभ का सारा कारोबार अब ममता ने संभाल लिया हैं ; ममता ने कैफ़े चलाने की ज़िम्मेदारी कीर्ति को दे दी हैं .....TO BE CONTINUE....NEXT PART )